COVID19 : 50 हजार वेंटिलेटर चाहिए, वरना मुश्किल में होंगे लोग

कोरोना (Corornavirus) धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है। अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो शुक्रवार शाम तक विश्वभर में 25 हजार पांच सौ लोग मारे जा चुके हैं, सिर्फ भारत में ही अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर में साढे पांच लाख लोग इस महामारी से पीड़ित हैं, जिनका इलाज चल रहा है। इस फेज में जब महामारी फैल जाएगी, तब मरीजों को संभालने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत वेंटिलेटर (Ventilator) की होगी, जिसकी अपने देश में बहुत कमी है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम कोवइड-19 (COVID19) का दावा है कि यही रफ्तार रही तो मई के मध्य तक सिर्फ भारत में 1 लाख से 13 लाख तक संक्रमितों की संख्या पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति से निपटने लिए भारत में मौजूदा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल उपकरण नाकाफी है।

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP) 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में करीब 32 हजार सरकारी, सेना और रेलवे के अस्पताल हैं, जिनमें करीब 4 लाख बेड हैं। निजी अस्पतालों की संख्या 70 हजार के करीब हैं। इसके अलावा क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, कम्युनिटी सेंटर भी हैं। सब मिलाकर करीब 10 लाख बेड होते हैं। आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारत में करीब 1700 लोगों पर एक बेड है। अब आईसीयू और वेंटिलेटर की स्थिति देखें तो यह भी काफी कम है। इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू बेड हैं। जबकि 40 हजार वेंटिलेटर मौजूद है। इसमें भी महज 10 प्रतिशत ही खाली हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना (Coronavirus) से निपटने के लिए भारत को अगले एक महीने के अंदर अतिरिक्त 50 हजार वेंटिलेटर और अस्पतालों में 2 लाख से ज्यादा बेड की जरूरत पड़ सकती है, जबकि आईसीयू बेड की करीब 70 हजार जरूरत पड़ सकती है। दूसरी ओर देर से ही सही, लेकिन अलग-अलग स्तरों पर सरकारों ने कोशिशें शुरू कर दी हैं। एक तरफ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सभी जिला अस्पतालों में एक-एक बिल्डिंग केवल कोरोना पीड़ितों के लिए तैयार करने का आदेश दिया है तो ओडिशा सरकार ने 15 दिनों में 1 हजार बेड का अस्पताल तैयार करने का फैसला लिया है। हालांकि, ये कोशिशें जरूरत के हिसाब से काफी कम हैं।

Ventilatorदरअसल इस समय भारत में केवल 40 हजार वेटिंलेटर है, जिन पर गंभीर मरीजों का उपचार किया जाता है। देश में वेंटिलेटर की उपलब्धता के बारे में यह अनुमान इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर का है। कई विशेषज्ञ की मानें तो अस्पतालों में सघन जांच केंद्रों की इतनी संख्या कोरोना के गंभीर मरीजों को उपचार दिलाने के लिए अपर्याप्त होगी और हमें और संसाधनों की जरूरत होगी।
वहीं, आईआईटी कानपुर के पुरातन छात्र निखिल कुरेले और हर्षित राठौर ने संस्थान के इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब के सहयोग से एक कंपनी बनाई थी। इसी कंपनी ने पोर्टेबल वेंटीलेटर का आइडिया विकसित किया था। वेंटीलेटर के प्रोटोटाइप मॉडल पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. समीर खांडेकर, प्रो. अरुण साहा, प्रो. जे.राम कुमार, प्रो. विशाख भट्टाचार्य काम करेंगे, जबकि तकनीकी सहयोग बेंगलुरु के डॉ. दीपक पद्मनाभन देंगे। अभी अपने देश में जहां एक तरफ आमलोगों से गुजारिश है कि वे अपने घरों में ही रहें, बाहर नहीं निकलें ताकि यह महामारी ज्यादा लोगों तक नहीं फैले और दूसरी तरफ केंद्र सरकार व राज्य सरकार को वेंटिलेटर की उचित व्यवस्था करनी होगी, वर्ना आने वाले दिनों में आमलोगों के लिए बहुत मुश्किल हो सकती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *