Lockdown कोई दवा नहीं, पर कोई और ऑप्शन भी तो नहीं!

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से मरने वालों के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। विश्व का सुपरपाॅवर कहे जाने वाले अमेरिका में मौत का आंकड़ा 11 हजार पहुंचने वाला है। पूरी दुनिया में अब तक 75 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और साढे 13 लाख से ज्यादा लोग कोविड-19 (COVID-19) नामक भयावह महामारी से इंफेक्टेड हैं। थैंक गाॅड, भारत में इस महामारी ने अब तक अपना रौद्र रूप नहीं दिखाया है, यूं कहें कि सरकार के महत्वपूर्ण फैसले तथा प्रशासन व आमलोगों के गठजोड़ से खतरनाक स्टेज में नहीं पहुंचे हैं। देश में लगा 21 दिनों का लाॅकडाउन अगले मंगलवार यानी 14 अप्रैल को खत्म होने वाला है।

covid-19हालांकि अभी कोई फाइनल डिसीजन नहीं लिया गया है, पर सूत्रों के अनुसार लाॅकडाउन को बढाया जा सकता है। हालांकि आमलोगों से लेकर हुक्मरान तक चर्चा कई दिनों से जारी है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं। लाॅकडाउन को खत्म करने की बात करने वाले हजारों की संख्या में हैं। उनका कहना भी जायज है। आखिर इतने दिन देश के पूरी तरह ठप रहने से कहीं न कहीं, या यूं कहें कि सीधे-सीधे नुकसान आमलोगों का ही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि कुछ लोग तो सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि लाॅकडाउन लगाने में सरकार ने देरी कर दी, इसे और पहले लगा देना चाहिए था। ये वे लोग हैं, जो अपने घर में बैठकर बढिया-बढिया डिशेज खा रहे हैं और टीवी-यूट्यूब देख-देखकर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। और तो और लाॅकडाउन के कारण दो-चार दिन घर में खुद से काम क्या करना पड़ गया, खत्म होने से पहले ही हाउस मेड को भी वापस काम पर बुलाने का फरमान तक जारी कर दिए हैं। इन्हें कौन समझाए कि आप 10 दिन घर में नहीं रह सकते, अपना काम खुद से नहीं कर सकते और ज्ञान दे रहे हैं सरकार को। सरकार को ज्ञान देने से बेहतर अगर लोग खुद इसकी भयावहता समझेंगे तो हम कोरोना को जरूर हरा पाएंगे।

Lockdownसरकार का पूरा तंत्र इसे हराने में लगा है। हमें अभी सरकार के हर फैसले को तहे दिल से स्वीकारना चाहिए। थाली पीटना और दीया जलाना नौटंकी नहीं है, बस आपको कुछ पल के इस खौफ के मंजर से भटकाना है, आपके अंदर पाॅजिटिव एनर्जी का संचार कराना है। दुनिया भर के केसेज देखकर लग रहा है कि इस महामारी से बचने का एक और सिर्फ एकमात्र उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग। और यह सोशल डिस्टेंसिंग सिर्फ और सिर्फ लाॅकडाउन से ही हो सकता है, क्योंकि ऐसे तो दूर रहने से रहे हम और आप। आंकड़ों पर गौर कीजिए, जहां जहां लाॅकडाउन सफल रहा है, वहां कोरोनावायरस के केसेज कम देखे गए हैं। यह सच है कि लाॅकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था खराब हो चली है अगर इसे और बढ़ाया गया तो बेशक चरमरा जाएगी, जिसे संभालना अकेले सरकार के बूते से बाहर होगी। पर, और कोई आॅप्शन भी नहीं है। केंद्र सरकार इस लाॅकडाउन को बढाने पर विचार कर रही है। हो सकता है, कुछ टर्म एंड कडिशन के साथ लाॅकडाउन बढे, मसलन कुछ आॅफिस खुलें, कुछ लोगों से पाबंदी हटे, पर पूरी तरह तो खत्म नहीं होगा अभी लाॅकडाउन। इधर, तेलंगाना व महाराष्ट सरकार के साथ-साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री भी लाॅकडाउन को हटाने के पक्ष में नहीं हैं। अशोक गहलोत ने तो कहा है कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों अपने अनुसार लाॅकडाउन बढाने का अधिकार देना चाहिए। बहरहाल, अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं, जो एक बार फिर से जनता के सामने आकर सरकार के आगे की रणनीति को बताएंगे।

“बुरा वक्त आया है,
वो जल्द जाएगा भी
हमें यूं रुलाया है तो ,
अब हंसाएगा भी
बस विश्वास करो,
खुद पर और खुदा पर
ये वक्त चला जाएगा
और हंसता लम्हा आएगा भी…”

Sanjeet Mishra(यह लेख पत्रकार संजीत मिश्रा ने लिखा है। इसे हमने उनके फेसबुक वाल से लिया है।)

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