यही है बिहार में बहार ? पेट भरने के लिए मुर्दा बन रहे लोग

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है। पोस्टरबाजी भी शुरू है। लेकिन, पिछले चुनाव का नीतीश सरकार का स्लोगन अब भी लोगों की जुबां पर है- बिहार में बहार है, नीतीशे सरकार है। आरा का एक वाक्या सामने आने के बाद लोगों की जुबां पर यही सवाल है ; क्या यही बिहार में बहार है? दरअसल, आरा में एक रिक्शा चालक कई दिनों से भूखा था। लॉकडाउन के कारण सवारी नहीं मिल रही थी तो पेट भरने के लिए वह कफन ओढ़कर सड़क किनारे सो गया। इसके बाद राहगीरों ने कुछ पैसे डालना शुरू कर दिए। कई ने फूल और अगरबत्ती तक लाकर वहां रख दिए। कई दिनों से रिक्शा चालक यह तरकीब अपनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। बता दें यह रिक्शा चालक पटना के बिहटा के रहने वाले हैं। इनका नाम रामदेव है और आरा में रिक्शा चलाकर परिवार पालते हैं।

पहले समाजसेवी और संगठन दे जाते थे सामान
मामला उजागर होने के बाद रामदेव ने बताया कि मार्च में केंद्र सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन में उन्हें परेशानी नहीं हुई, क्योंकि शहर के कई समाजसेवी और संगठनों द्वारा खाना बांटा जाता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में पेट पालने के लिए मजबूरन लाश बनना पड़ा।

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