भारी खेला होबे, लोजपा के बाद कांग्रेस के कई विधायक जदयू के संपर्क में

पटना : बिहार की राजनीति में भारी उठा-पटक चल रहा है। लोजपा में टूट के बाद अब कांग्रेस में टूट की सुगबुहाट तेज हो गई है। कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़ने वाले हैं। ये विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के संपर्क में हैं। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इस बात से इंकार किया है। वैसे सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के 19 में से 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ने का मन बदल लिया है। कानून के प्रावधान के तहत विधायकों के टूटने के लिए 13 विधायकों की संख्या अनिवार्य है। इसको लेकर अब ऑपरेशन कांग्रेस चलाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व भी अलर्ट मोड पर है। विधायकों को एकजुट रखने के लिए जिम्मेदारी प्रमुख विधायकों को दी गई है। कांग्रेस के तीन से चार विधायकों का एक-एक ग्रुप बनाया गया है। हर ग्रुप की जिम्मेदारी एक विधायक को दी गई है। यह विधायक लगातार दूसरे विधायकों के संपर्क में बने हुए हैं।

कांग्रेस के हैं 19 विधायक
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। इनमें से कम से कम 13 विधायक पार्टी छोड़ने को तैयार हो जाएं तो जदयू एक झटके में इस ऑपरेशन को सफल बना देगा। जदयू ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी है। अल्पसंख्यक तबके के तीन कांग्रेसी विधायकों पर जदयू की नजर है। बिहार के प्रभारी भक्त चरण दास ने पूरी स्थिति को लेकर वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की है। यह भी सलाह दी गई कि अपने-अपने क्षेत्र में घूम रहे विधायकों को पटना बुला लिया जाए। कांग्रेस नेता व विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी पर हमला बोलते हुए कहा कि भगोड़ा करार दिया।

सूरजभान बने LJP के कार्यकारी अध्यक्ष, Chirag Paswan ने पांचों सांसदों को लोजपा से निकाला
लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के घर की लड़ाई पार्टी में पहुंच गई है। सोमवार को पूरे दिन हुए हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद एलजेपी (LJP) संसदीय दल के नए नेता बने पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। इसमें चिराग पासवान (Chirag Paswan) को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटाने का फैसला लिया गया। इसके तुरंत बाद चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पांचों बागी सांसदों को पार्टी से हटाने की अनुशंसा कर दी।

पारस गुट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) को एलजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। पारस गुट की बैठक में यह फैसला हुआ है। अब 5 दिन के अंदर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। फिलहाल, सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में बैठक होगी। एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है।

सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) अब एलजेपी (LJP) के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए हैं। लोजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब पांच दिन के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। फिलहाल सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में ही बैठक होगी। एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है। इधर, लोजपा के भीतर मचे घमासान के बीच चिराग खेमा पार्टी और पावर बचाने की जद्दोजहद में जुट गया है। चिराग पासवान (Chirag Paswan) के दिल्ली स्थित आवास पर सोमवार की देर रात तक बैठकों का दौर जारी रहा, जो मंगलवार को भी चल रहा है। बैठक में चिराग पासवान सहित पार्टी के कई नेता मौजूद हैं। बिहार से भी पार्टी के कुछ नेता सोमवार को दिल्ली रवाना हुए थे, वो भी इस बैठक में मौजूद थे।

लोकसभा में संसदीय दल का नेता का पद छीने जाने के बाद अब संकट लोजपा पार्टी (LJP) पर है, पार्टी में टूट के बाद अब एलजेपी का क्या होगा, इसे लेकर बैठक में पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर रहे हैं। पार्टी को कैसे बचाया जाये इसको लेकर भी वो कल से मंथन कर रहे हैं। चिराग पासवान (Chirag Paswan)पार्टी बचाने के लिए कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा कर रहे हैं, मतलब साफ है चिराग आसानी से पार्टी की बागडोर अपने चाचा के हाथ में जाने देने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान पार्टी के बाहुबली नेताओं को भाव नहीं देते थे। इसको लेकर ही रामा सिंह ने पार्टी छोड़ दिया और अब सूरजभान सिंह पार्टी तोड़ने में अहम् भूमिका निभा रहे हैं।

बिहार में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच एलजेपी के प्रवक्ता संजय सिंह (LJP SpokesPerson Sanjay Singh) कांग्रेस के दस से ज्यादा विधायकों के अपने संपर्क में रहने का दावा कर हंगामा मचा दिया है, लेकिन कांग्रेस ने अपने विधायकों के टूटने की खबर का खंडन किया है। रविवार की रात लोजपा में हुई टूट के बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में कांग्रेस के विधायक भी बहुत जल्द अपना पहला बदल सकते हैं। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और जेडीयू के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के तकरीबन 10 विधायक जेडीयू के लगातार संपर्क में हैं, जो कभी भी टूट सकते हैं।

इधर, पार्टी में जारी बगावत के बीच पहली बार आज चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक ट्वीट कर पशुपति पारस (Pashupati Paras) को लिखे कुछ पुराने पत्र साझा किए। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किए, लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। आगे उन्होंने लिखा कि पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं। ट्वीट के साथ ही साझा किए गए पत्र वे हैं जो चिराग ने पशुपति पारस को 29 मार्च को लिखे थे।

इन पत्रों में चिराग (Chirag Paswan)ने पारस को लिखा है कि रामचंद्र पासवान (Ramchandra Paswan) के निधन के बाद से ही आप में बदलाव देखने को मिला। पापा की तेरहवीं में भी 25 लाख रुपये मां को देने पड़े, इससे मैं दुखी था। चिराग ने एक पत्र में लिखा है कि मैंने हमेशा भाइयों को साथ लेकर चलने की कोशिश की। पापा के जाने के बाद आपने बात करना बंद कर दिया। चिराग ने एक पत्र में आरोप लगाया है कि पापा के रहते हुए भी आपने पार्टी तोड़ने का प्रयास किया। वहीं प्रिंस राज पर रेप के मामले का जिक्र करते हुए चिराग ने कहा कि प्रिंस पर आरोप के दौरान भी मैं परिवार के साथ खड़ा रहा।

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