प्लास्टिक सर्जरी से जन्मजात शारीरिक विकृतियों का इलाज संभव!

“प्लास्टिक सर्जरी को लेकर लोगों में व्यापक भ्रांतियां हैं। अधिकांश लोगों का यह मानना है कि प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से उनके शारीरिक रूप में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है। कुछ लोग प्लास्टिक सर्जरी को शरीर के जले हुए हिस्से के इलाज से जोड़कर देखते हैं; जैसा कि अक्सर फिल्मों में दिखाया जाता है। फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्य से प्रभावित लोग प्लास्टिक सर्जन से “असंभव” की उम्मीद करने लगते हैं। फिल्मों में और वास्तविक जीवन में प्लास्टिक सर्जरी का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है,” यह कहना है डॉ राकेश कुमार खजांची का, जो कि प्लास्टिक सर्जन एवं मेदांता डिविजन ऑफ प्लास्टिक, ऐस्थेटिक ऐंड रेकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग में अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।
डॉ खजांची आगे बताते हैं कि प्लास्टिक सर्जरी से संबंधित गलतफहमी यह भी है कि प्लास्टिक सर्जरी विधि में त्वचा का एक हिस्सा शरीर से निकालकर दूसरे स्थान पर अंतरित (ट्रांसफ़र) किया जाता है। और रोगी को यह चिंता सताती है कि शरीर का वह हिस्सा जहां से त्वचा को निकाला गया है; अपनी पुरानी स्थिति में आयेगा या नहीं या वह हिस्सा भद्दा दिखेगा।
वस्तुस्थिति यह है कि प्लास्टिक सर्जन विधि-प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से को गढ़कर/ढालकर वापस मूल आकार में लाता है या मरम्मत करता है। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी प्रक्रिया के अंतर्गत प्लास्टिक सर्जन शरीर के उन हिस्सों का इलाज करता है जोकि क्रियात्मक या सौंदर्यपरक पहलु से प्रभावित होते हैं। मसलन; जन्मजात शारीरिक विकृतियां, विकास-संबंधित दोष, शरीर के किसी हिस्से के जलने की स्थिति में संक्रमण, कैंसर इत्यादि। प्लास्टिक सर्जरी प्रक्रिया द्वारा शरीर के रोगग्रस्त हिस्से को यथासंभव क्रियात्मक करने की एवं मूल रूप में लाने का प्रयास किया जाता है।
जहां तक कॉस्मेटिक सर्जरी का संबंध है, इसके अंतर्गत शल्यक (सर्जिकल) और गैर-शल्यक (नॉन-सर्जिकल) होती हैं, डॉ खजांची बताते हैं। उपरोक्त विधियों के माध्यम से शारीरिक सौन्दर्य एवं रूप में इजाफा या सुधार किया जाता है।  कहने का तात्पर्य यह है कि प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से शरीर के विकृत हिस्से को सामान्य स्थिति में लाया जाता है। और कॉस्मेटिम सर्जरी के माध्यम से सामान्य रूप या शरीर के सामान्य हिस्से में सौन्दर्य-वृद्धि की जाती है।
जन्मजात शारीरिक विकृतियां
प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से बच्चों में पायी जाने वाली शारीरिक विकृतियां दूर कर सामान्य स्थिति में लायी जाती हैं। मसलन्; चेहरा, हाथ, पैर, पेट, गुप्तांग इत्यादि।
Dr. Rakesh K Khazanchi Plastic Surgeon

जन्मजात विकृतियों का विवरण :
1. तालू एवं ऊपरी ओठ की अधूरी बनावट
2. विकृत चेहरा, चेहरे में खाली जगह का होना
3. ऐसी स्थिति जिसमें दो या दो से अधिक अंगुलियां एक साथ मिली हों। पैर के अंगूठे के साथ अंगुली मिली हो।
4. ऐसी स्थिति जिसमें अतिरिक्त एक या एक से अधिक अंगुलियां या पैर के अंगूठे हों।
5. क़िसी स्थिति जिसमें हाथ का अंगूठा मौजूद न हो।
6. कान का मौजूद न होना या कान का कुछ हिस्सा (माक्रोसिया) मौजूद हो या विकृत कान।
7. नाक पर ऊतकों की जन्मजात या विकासात्मक कमी।

 

शारीरिक चोट एवं क्षति
प्लास्टिक सर्जरी प्रक्रिया के माध्यम से सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति, कार्य-स्थान या खेलकूद में घायल होने की स्थिति में, हिंसात्मक झगड़े में घायल होने की स्थिति में उपचार किया जाता है। प्लास्टिक सर्जरी शरीर के घायल हिस्से के दृष्टिगत संघात (विस्यूल इम्पैक्ट) को न्यूनतम करने की यथासंभव कोशिश करते हैं। डॉ खजांची का मानना है कि कभी कभी प्लास्टिक सर्जरी के अथक प्रयास के बावजूद शरीर के प्रभावित हिस्से पर हल्के क्षतचिन्ह या दाग रह जाते हैं। हाथ और पैरों के फ्रैक्चर की स्थिति में, चेहरे के फ्रैक्चर (गंडास्थि (चीक बोन), जबड़े की हड्डी का टूटना, नेत्रगुहा के फ्रैक्चर की स्थिति में) प्लास्टिक सर्जन प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से सामान्य रूप में लाने का प्रयास करते हैं।
प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से शरीर के किसी भी हिस्से में त्वचा, मांसपेशियों एवं हड्डी के ऊतकों की हानि की क्षतिपूर्ति की जाती है।
कैंसर रिकंस्ट्रक्शन
कभी कभी कैंसर रोग शरीर के हिस्से की कार्यशीलता या रूप-रंग नष्ट कर देता है। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के माध्यम से उस हिस्से की कार्यशीलता या रूप-रंग सामान्य स्थिति में लायी जाती है। उदाहरणस्वरूप, मुंह के कैंसर रोग में, स्तन-कैंसर रोग, त्वचा के कैंसर रोग, गुप्तांग के कैंसर रोग, हाथ या पैरों में कैंसर रोग इत्यादि।
डायबेटिक फ़ुट सर्जरी
मधुमेह रोग की वजह से पैर में होनेवाले फोड़े वस्तुतः खुले ज़ख्म होते हैं। मधुमेह रोगियों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है कि पैर की अंगुलियां या पैर कटवाने की नौबत आ जाती है। प्लास्टिक सर्जन ज़ख्म एवं संक्रमित पैर की अंगुलियों का उचित इलाज कर समाधान प्रस्तुत करते हैं। साथ ही पैरों में उत्पन्न विकृतियों का भी प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से समुचित इलाज किया जाता है।

(प्रस्तुति : ज्ञानभद्र. लेखक ज्ञान भद्र स्वास्थ्य मामलों के अच्छे जानकार माने जाते हैं और हेल्थ काॅलमनिस्ट के रूप में इनके आर्टिकल विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं में छपते रहे हैं.)
पत्र व्यवहार का पता – ज्ञानभद्र, मकान न. 57, दूसरी मंज़िल, गुरुद्वारा के पीछे, मुनिरका, नई दिल्ली – 110 067. मोबाईल -09871208435

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