New Essential Medicines list of India-Bihar Aaptak

Rantac, Zinetac व Aciloc ‘जरूरी दवाओं’ की लिस्ट से बाहर, कैंसर की आशंका के बाद सरकार ने लिया फैसला

दिल्ली। केंद्र सरकार ने कैंसर के इलाज में यूज होने वाली 4 दवाओं समेत 34 नई मेडिसिन को आवश्यक सूची यानी नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन में जोड़ दिया है, वहीं इनके अलावा 26 दवाओं को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। इनमें सबसे प्रमुख रेनिटिडीन है, जिसे रैनटेक, जिनटेक व एसीलाॅक आदि नाम से बेचा जाता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस कदम से कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं और टीके किफायती हो जाएंगी। 4 प्रमुख कैंसर रोधी दवाओं में बेंडामुस्टाइन हाइड्रोक्लोराइड, इरिनोटेकन एचसीआई ट्राइहाइड्रेट, लेनालेडोमाइड और ल्यूप्रोलाइड एसीटेट शामिल हैं। बता दें कि इस लिस्ट में उन दवाओं को शामिल किया जाता है, जो ज्यादा से ज्यादा लोगों के काम में आती हैं। इन दवाओं का अधिकतम दाम सरकार कंट्रोल में रखती है। दवा कंपनियां एक साल में इस लिस्ट में शामिल दवाओं का दाम 10 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ा सकती।

26 दवाओं को एशेंसियल लिस्ट से हटाया गया


केंद्र सरकार ने जिन 26 दवाओं को एसेंशियल मेडिसिन की नई सूची से हटाया है, उनमें अल्टेप्लेस दवा, एटेनोलोल, ब्लीचिंग पाउडर, कैप्रियोमाइसिन, सेट्रीमाइड, क्लोरफेनिरामाइन, डिलोक्सानाइड फ्यूरोएट, डिमरकैप्रोल, एरिथ्रोमाइसिन, एथिनाइलेस्ट्राडियोल, एथिनाइलेस्ट्राडियोल (ए) नोरेथिस्टेरोन (बी), गैन्सिक्लोविर, कनामाइसिन, लैमिवुडीन (ए) + नेविरापाइन (बी) + स्टावुडीन (सी), लेफ्लुनोमाइड, मिथाइलडोपा, निकोटिनामाइड, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2 ए, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2 बी, पेंटामिडीन, प्रिलोकेन (ए) + लिग्नोकेन (बी), प्रोकारबाजिन, रेनिटिडीन, रिफाबुटिन, स्टावुडीन (ए) + लैमिवुडिन (बी), सुक्रालफेट और व्हाइट पेट्रोलैटम शामिल हैं।

नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन 1996 में बनाया गया था। तब से लेकर अब तक 5 बार इसे अपडेट किया गया है। इसे साल 2003, 2011 और 2015 में बदला गया था और अब पांचवीं बार साल 2022 में इस लिस्ट को रिवाइज किया गया है।

रेनिटिडीन से कैंसर होने का बताया जा रहा था खतरा


सरकार द्वारा जारी एशेंसियल मेडिसिन की लिस्ट से हटाई गई दवाओं में रेनिटिडीन भी है, जो अक्सर एसिडिटी और पेट से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए दी जाती है। इसे रैंनटेक, जिनटेक व एसीलाॅक जैसे ब्रांड नेम के साथ बेचा जाता है। इस दवा के सेवन से मरीजों में कैंसर होने की आशंका बढ़ने की बात कही जा रही थी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लिस्ट से हटाने का फैसला लिया। बता दें कि एसिडिटी के नाम पर आज भी देश के हर घर में ऐसी दवाओं का इस्तेमाल होता है। सरकार द्वारा इसे लिस्ट से बाहर किए जाने के बाद यह खबर पुख्ता होती दिख रही है कि इन दवाओं से कैंसर का खतरा ज्यादा था।

सरकार द्वारा जारी इस लिस्ट में मनोचिकित्सा संबंधी दवाओं निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी और ब्यूप्रेनोर्फिन को भी जोड़ा गया है। इसके अलावा लिस्ट में एंटी ट्यूबरकुलोसिस दवा बेडक्विलाइ, रोटावायरस वैक्सीन जैसी दवाइयों को भी शामिल किया गया है। अब इस सूची में ऐसी दवाओं की संख्या 384 हो गई है।

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