Supermoon 2021: आज की शाम आसमान में दिखेगा ‘स्ट्रॉबेरी सुपरमून’

विश्व में आज रात एक और बड़ी खगोलीय घटना घटित होने वाली है। दरअसल, सुपर मून, ब्लडमून, चंद्र ग्रहण के बाद रिंग ऑफ फायर सूर्य ग्रहण के बाद रात के आकाश में इस बार स्ट्रॉबेरी सुपर मून दिखाई देने वाला है। जी हां, इस बार चांद का रंग ही कुछ इस प्रकार का दिखाई देगा कि वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना को स्ट्रॉबेरी और हनि मून का नाम दे दिया है।

अगला सुपरमून 14 जून 2022 को देखने को मिलेगा
यह स्ट्रॉबेरी सुपर मून आज यानि 24 जून को दिखाई देगा। ग्रीष्म संक्रांति के बाद स्ट्रॉबेरी मून पहली पूर्णिमा है। बताना चाहेंगे कि यह साल का आखिरी सूपर मून है। अगला सुपर मून 14 जून 2022 को देखने को मिलेगा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि आज रात गुरुवार, 24 जून की शाम को आसमान में चंद्रमा विशाल आकार में दिखाई देखा। शाम लगभग सात बजे पूर्व दिशा में जब चंद्रमा उदित हो रहा होगा, तब उसका आकार सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा की तुलना में बड़ा होगा और उसकी चमक भी सामान्य से अधिक होगी। यह इस साल का तीसरा सुपर मून है।

इस खगोलीय घटना को ‘स्ट्रॉबेरी’ और ‘हनि मून’ नाम दिया गया
राष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित विज्ञान प्रसारक सारिका घारू इसके बारे में बताती हैं कि यह खगोलीय घटना सुपर मून कहलाती है। आज जो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा दिखाई देगा, उसे पश्चिमी देशों में स्ट्रॉबेरी की हार्वेस्टिंग का मौसम होने के कारण स्ट्रॉबेरी मून नाम दिया गया है। इसे हनी मून भी कहते हैं, क्योंकि इस समय वहां हनी हार्वेस्ट करने के लिए तैयार हो जाता है। यूरोपीय देशों में जून्स फुल मून भी नाम दिया जाता है। पश्चिमी देशों में इसे रोजमून भी कहा जाता है। इसका यह नाम उदित होते फुल मून के लालिमा के कारण तथा कुछ क्षेत्रों में इस समय खिलने वाले गुलाब के कारण दिया गया है।

माइक्रो मून की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा
सारिका कहती हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा अंडाकार पथ पर करते हुए 3 लाख 61 हजार 885 किलोमीटर से कम दूरी पर रहता है तो उस समय पूर्णिमा का चांद सुपर मून कहलाता है। यह माइक्रो मून की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखता है।

क्या होता है सुपर मून ?
विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा गोलाकार पथ में नहीं करता। यह अंडाकार पथ में घूमते हुए जब पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, इसे पेरिजी कहते हैं। जब पूर्णिमा और पेरिजी की घटना एक साथ होती हैं तो वह सुपर मून होता है। पृथ्वी के पास आ जाने के कारण यह अन्य माइक्रो मून पूर्णिमा की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है। सारिका ने बताया कि 26 जनवरी 1948 को पड़े सुपर मून के बाद चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सबसे कम दूरी का अनुभव करने के लिए 25 नवम्बर 2034 तक का इंतजार करना होगा।

सुपर मून की फोटोग्राफी
उनका कहना है कि सुपर मून को यादगार बनाने क्षितिज से उदित हो रहे चंद्रमा की फोटोग्राफी की जा सकती है। मून इलुजन की घटना के कारण चंद्रमा विशाल गोले के रूप में दिखाई देगा। इसके लिए शाम को 7 बजे अपने घर की छत पर जाएं। अपने स्मार्टफोन को ट्राइपॉड पर फिक्स करें। एचडीआर मोड का इस्तेमाल करते हुए फ्लैश लाइट बंद कर फोटो लें। सावधानी के तौर पर फोटो को जूम कर न खींचे। फ्रेम ब्राईट होने से बचाने के लिए नाइट मोड का प्रयोग करने से बचें और फोन के अधिकतम रेजोल्यूशन पर ही फोटो क्लिक करें।

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