पटना : देश में कोरोना का कहर बढ़ने पर अस्पतालों में बेड की संख्या कम पड़ गई है। विकल्प के तौर पर ट्रेनों के बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बनाया गया है। होटलों को कोविड सेंटर बनाए गए। लेकिन, एक आश्रम चर्चा का विषय बना है। क्योंकि, यहां कोरोना मरीजों को प्राकृतिक वातावरण में इलाज किया जा रहा है। शुद्ध हवा, सूर्य की रोशनी और मेडिटेशन का पूरा प्रबंध है। नतीजतन, कोरोना के शत प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। दरअसल, यह आश्रम मुंबई पोर्ट ट्रस्ट हॉस्पिटल का है। हॉस्पिटल प्रबंधन ने अस्पताल ने अपने कैंपस के एक पुरानी बिल्डिंग को असिम्पटोमेटिक मरीजों के इलाज के लिए आश्रम में परिवर्तित कर दिया। ट्रस्ट के चेयरमैन संजय भाटिया के मुताबिक पोर्ट ट्रस्ट के अस्पताल में पास ही पुरानी इमारत को आश्रम बनाया दिया है।
आश्रम में 70 बेड की सुविधा, 20 मरीज हैं भर्ती
ट्रस्ट के चेयरमैन संजय भाटिया ने बताया कि अस्पताल में 70 बेड की सुविधा है। फिलहाल यहां कोरोना के 20 मरीज भर्ती हैं। यहां आने के बाद मरीजों को दो दिन खासा निगरानी रखी जाती है। मरीजों का दिनचर्या तय किया गया है। इसके अनुसार सुबह 6:30 बजे चाय के दिन की शुरुआत होती है। फिर खाने के बाद 1.5 घंटे का ब्रेक मिलता है। रात में 9:30 बजे सभी मरीज सोने चले जाते हैं।