कोर्ट में कमियां उजगार, सरकार ने माना-39 में से 23 जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन मशीन नहीं

पटना : बिहार में कोरोना से उपजे भयावाह हालात पर पटना हाईकोर्ट सख्ती के बाद कमियां उजागर हो रही हैं। बिहार सरकार ने खुद अपनी रिपोर्ट में स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियां को उजागर कर दिया है। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि 39 में से 23 जिला अस्पतालों में अब भी सिटी स्कैन की मशीन नहीं है। यानी सिर्फ 16 जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन मशीन है। पटना के दोनों जिला अस्पतालों में भी सिटी स्कैन मशीन नहीं है। सरकार ने यह भी कोर्ट को आश्वासन दिया कि 31 जुलाई तक 23 जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन मशीन लगा दी जाएगी।

इन जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन मशीन नहीं
पूर्णिया, सहरसा, सीतामढ़ी, नरकटियागंज, पूर्वी चंपारण, कटिहार, बांका, बक्सर, कैमूर, खगड़िया, जयप्रकाश नारायण अस्पताल पटना, सुपौल, सीवान, गोपालगंज, जमुई, अरवल, जहानाबाद, लखीसराय, नवादा, शेखपुरा, शिवहर, दरभंगा और पटना सिटी का गुरु गोविंदा सिंह अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन नहीं है।

कोरोना मरीजों से ज्यादा पैसे लेने पर अस्पताल पर केस दर्ज
कोरोना इलाज के लिए सरकार की ओर से निर्धारित शुल्क से ज्यादा पैसे लेने पर हाजीपुर के प्रिंस संजीवनी अस्पताल पर केस दर्ज हो गया है। अस्पताल मरीजों से एक दिन के 20 हजार रुपए वसूल रहा था। आर्थिक अपराध इकाई के कंट्रोल रूम को मिली शिकायत के बाद प्रिंस संजीवनी अस्पताल पर केस दर्ज किया गया। आर्थिक अपराध इकाई ने शिकायत की जांच की और मामले को सही पाए जाने पर केस दर्ज कराया है।

सूबे में कोरोना के 6894 नए संक्रमित मिले
सूबे में रविवार को कोरोना के 6894 नए संक्रमित मिले। इतने मरीज 30 दिनों बाद मिले हैं। अब संक्रमण की दर 5.73 प्रतिशत हो गई है। जबकि रिकवरी दर बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई है। फिलहाल सूबे में 75089 मरीज एक्टिव हैं। वहीं, नए मरीजों में पटना एक बार फिर सबसे अधिक केस मिले हैं। यहां 1103 नए पॉजिटिव सामने आए हैं। दूसरे नंबर पर गया है, जहां 381 मरीज मिले। तीसरे नंबर समस्तीपुर में 331, चौथे नंबर पर पूर्वी चंपारण है। यहां 297 मरीज मिले हैं। पांचवें नंबर पर बेगूसराय है, जहां 270 नए मरीज मिले। छठे नंबर पर मधुबनी में 267, सातवें नंबर पर सुपौल में 240, अररिया में 236, सारण में 228 और पूर्णिया में 221 नए मरीज मिले हैं।

कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरैपी कारगर नहीं
आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरैपी कारगर नहीं है। यह भी कहा कि वयस्क मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरैपी के इस्तेमाल को हटा दिया जाना चाहिए। यह बिल्कुल भी प्रभावी नहीं है।

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