‘हासिल’ में इरफान खान के ‘बिहारीपन’ की महक हमेशा याद रहेगी

अभिषेक मिश्रा।
अपनी खास अदाकारी से हर किसी को मुरीद बनाने वाले फिल्म अभिनेता इरफान खान हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में 54 साल के इरफान खान ने अंतिम सांस ली। इरफान लंबे समय से बीमार थे। तबियत खराब होने के बाद इरफान खान को अस्पताल में दाखिल कराया गया था, जहां उनका निधन हो गया।

दरअसल, इरफान खान फिल्मों में खास अदाकारी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। चाहे फेस एक्सप्रेशंस हों या डायलॉग डिलीवरी, कैमरे के हर फ्रेम में इरफान का कब्जा होता था। खास बात यह है कि इरफान खान की डायलॉग डिलीवरी में बिहारी टोन झलकता था। उनकी आखिरी फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ में भी ऐसा देखने को मिला है।
इरफान खान की फिल्म ‘हासिल’ किसे याद नहीं होगी। फिल्म में इरफान खान स्टूडेंट यूनियन के लीडर के रूप में जबरदस्त एक्टिंग करते दिखते हैं। फिल्म के हर डायलॉग में इरफान खान के अंदर का बिहारीपना झलकता है.। हालांकि, फिल्म इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को बैकड्रॉप में रखकर बनाई गयी, लेकिन, इरफान खान के डायलॉग में बिहार का टोन साफ सुना जा सकता है। इसके अलावा ‘पान सिंह तोमर’,  ‘मदारी’,  ‘डी-डे’,  ‘लंचबॉक्स’,  ‘पीकू’,  ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ में भी खास डायलॉग डिलीवरी देखने को मिलती है। अधिकांश फिल्मों में इरफान खान के टोन में देसीपना झलकता है, जिससे कहीं ना कहीं बिहार से जुड़ाव महसूस होता है।

दरअसल, इरफान खान ने फिल्म इंडस्ट्री में जो मुकाम पाया, वो कहीं ना कहीं उनकी डायलॉग डिलीवरी के कारण भी रहा। कई इंटरव्यू में इरफान खान जिक्र करते दिखे कि वो डायलॉग बोलने में किसी तरह की प्रैक्टिस नहीं करते। बस दिल से निकलता है और लोगों की जुबां पर छा जाता है। उनकी जो ऑरिजिनल यूएसपी है, उसे ही परदे पर उतार देते थे, जो सीधे सिनेप्रेमियों की दिलों में घर कर लेता था। अब आज वे नहीं हैं, पर पर्दे पर उनके द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा ही याद रहेंगे।
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